Saturday 23 July 2016

" आजाद हैं , आजाद ही रहेंगे हम .."जयहिंद !!

जयहिंद ||

स्वतंत्रता सेनानी : आजाद हिंद फ़ौज की सेनानी श्रद्धेय लक्ष्मी सहगल जी के निर्वाण और
शहीद चन्द्रशेखर आजाद जी के जन्मदिवस पर शत शत नमन व् श्रद्धासुमन ...
....
आज अजीब सा दिन है ...
एक जिंदगी जा रही है विदा हों जहाँ से ..
दूसरी और जिंदगी के आने का दिन ये मुकर्रर..
अजब सी कहानी है दोनों दीवाने ...
अपने वतन पर जाँ लुटा दे..
लक्ष्मीबाई सरीखी लडती चली वो नाम को नाम फिर से देती चली वो ..
लुटा दी जाँ एक ने गोलियों से ..
वतन पे फ़िदा थे वो आजाद थे परतंत्र देश मैं भी ...
स्वाधीनता जिनकी मंजिल बनी थी ..
लहू के जिनके वो दुल्हन सजी थी ,
एक वो चली जाँ आज जवानी जिसने वतन पे लुटा दी ...
आखिरी सांस तक देश सेवा में बिता दी..
एक वो है जिन्हें न फुर्सत हुई दो आंसूं बहा दे..
याद में वतन पे मिटने वालों की चिता ही सजा दे..
न फुर्सत उन्हें देश बेचने से अब भी ..
हौसले है इतने फिर आजादी मिटा दें...
अभी साँस उनकी रुकने न पायी ...
रूहें भी रोती होगीं उनकी देके दुहाई
कैसा अजब ये दिन आज आया ..
शब्दों में बांधूं अब किसका साया ...
दोनों ही दीवाने दोनों मस्ताने ..
देश पे खुद को मिटा कर चले वो ...
उन्हें भावनाओं का शत शत नमन है
कैसे उनके घर?और घर वाले .....
उनका अपना घर से पहले वतन है . --विजयलक्ष्मी

.
कहा जाता है की आजाद के इस तरह अपनी जान दे देने की रहस्य एक फाइल में छुपा है।
चंद्रशेखर आजाद की मौत की कहानी भी उतनी ही रहस्यमयी है जितनी की नेताजी सुभाष चंद्र बोस की। आजाद की मौत से जुडी एक गोपनीय फाइल आज भी लखनऊ के सीआइडी ऑफिस में रखी है। इस फाइल में उनकी मौत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें दर्ज हैं। फाइल का सच सामने लाने के लिए कई बार प्रयास भी हुए पर हर बार इसे सार्वजनिक करने से मना कर दिया गया। इतना ही नहीं भारत सरकार ने एक बार इसे नष्ट करने के आदेश भी तत्कालीन मुख्यमंत्री को दिए थे। लेकिन, उन्होंने इस फाइल को नष्ट नहीं कराया।,,
.
.दाग दी गोलिया बंदूक की एक को छोडकर ,,
हत्थे चढने से पहले मारी खुद को मोडकर..||
वीर थे अंदाज से शहंशाह थे वो विश्वास के
मातृभूमि हित चले अपना सबकुछ छोडकर ||
अंग्रेज हैरत में थे डरते रहे पास जाने से भी
आजाद थे आजाद रहे ,, क्या गये वो छोडकर ||
न नेहरु करते मुखबिरी न हत्या होती उनकी
देश हित गये थे मिलने सारे मतभेद छोडकर ||
हर प्रयास देश की आजादी के नाम लिखा
किया फरेब बताया अंग्रेजो को भाईचारा छोडकर || ---- विजयलक्ष्मी

No comments:

Post a Comment