Friday 18 December 2015

"खुद में झांको तब फिर कहना काफ़िर कौन यहाँ प्यारे "

" हम तो बुतपरस्त ठहरे तुमने क्यूँ पत्थर चिन मारे,,
हम घंटे घडियाल बजाते थे,,तुम्हे अजान कैसे तारे,,
राम लला की जन्मभूमि को आततायी ने कब्जाया था
पुरखे कहो बदले कैसे गर भारत की सन्तान हैं सारे,,
यहाँ शहीदी बाना प्यारा है माता तो ममता लुटा रही 
तुम डायन माँ को पुकार रहे कैसे चुप सहे सुत सारे
तुमको रावण भी कहूँ कैसे उसको भो लंका प्यारी थी
तुम जयचंदी रंग रंगे हुए जमीर बेच मन रंगे हैं कारे
बस कहने की बात रही लेकिन ईमान अब जात नहीं
खुद में झांको तब फिर कहना काफ़िर कौन यहाँ प्यारे
" ------ विजयलक्ष्मी

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