Wednesday 25 November 2015

" अभी तक क्यों रखा है नाथूराम गोडसे की अस्थियाँ ...??"

अभी तक क्यों रखा है नाथूराम गोडसे की अस्थियाँ ...??
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नाथूराम गोडसे एक अखबार के संपादक थे। उन दिनों उनके पास अपनी मोटर गाड़ी थी। उनका और मोहनदास करमचन्द गांधी का कोई व्यक्तिगत झगड़ा नहीं था। वो पुणे में रहते थे जहाँ देश विभाजन का कोई असर नहीं हुआ था। गोडसे फिर भी गांधी का वध करने गए। क्या कारण था? नाथूराम के भाई गोपाल गोडसे ने अपने पुस्तक के माध्यम से उन कारणों का जिक्र किया है जिसके कारण गाँधी का वध किया गया। नाथूराम मानते थे कि पंजाब और बंगाल की माँ-बहनें मेरी भी कुछ लगती हैं और उनके आँसू पोछना मेरा कर्तव्य है।
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15 नवंबर 1949 को जब नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी के लिए ले जाया गया तो उनके एक हाथ में गीता और अखंड भारत का नक्शा था और दूसरे हाथ में भगवा ध्वज। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि फांसी का फंदा पहनाए जाने से पहले उन्होंने ‘नमस्ते सदा वत्सले’ का उच्चारण किया और नारे लगाए।
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नाथूराम का अंतिम संस्कार?
गोपाल गोडसे की पुत्री हिमानी सावरकर ने बताया कि ‘हमें उनका शव नहीं दिया गया। वहीं अंदर ही अंदर एक गाड़ी में डालकर उन्हें पास की घग्घर नदी ले जाया गया। वहीं सरकार ने उनका अंतिम संस्कार किया। लेकिन हमारी हिंदू महासभा के अत्री नाम के एक कार्यकर्ता पीछे-पीछे गए थे। जब अग्नि शांत हो गई तो उन्होंने एक डिब्बे में उनकी अस्थियां समाहित कर लीं। हमने उनकी अस्थियों को अभी तक सुरक्षित रखा है।
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हर वर्ष 15 नवंबर को गोडसे की पुण्यतिथि का एक कार्यक्रम गोडसे सदन में आयोजित किया जाता है। शाम छह से आठ बजे तक। वहां उनके "मृत्यु-पत्र" को पढ़कर लोगों को सुनाया जाता हैं। गोडसे की अंतिम इच्छा भी अगली पीढ़ी के बच्चों को कंठस्थ है।
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गोडसे परिवार ने उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए उनकी अस्थियों को अभी तक चांदी के एक कलश में सुरक्षित रखा गया है। हिमानी कहती हैं, ”उन्होंने लिखकर दिया था कि मेरे शरीर के कुछ हिस्से को संभाल कर रखो और जब सिंधु नदी स्वतंत्र भारत में फिर से समाहित हो जाए और फिर से अखंड भारत का निर्माण हो जाए, तब मेरी अस्थियां उसमें प्रवाहित कीजिए। इसमें दो-चार पीढ़ियां भी लग जाएं तो कोई बात नहीं।”

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