Thursday 29 October 2015

" कविता में शामिल "



" कविता में शामिल 
अहसास है 
आस है 
विश्वास है 
जिज्ञासा है 

पिपासा है
अभिलाषा है
संघर्ष है
उत्कर्ष है
विमर्श है
आचरण है
व्याकरण है
पर्यावरण है
धीरता है
गम्भीरता है
वीरता है
ममता है
समता है
लघुता में बसी दीर्घता है
द्रढ़ता में छिपी भीरुता है
जीवन धुप है
प्राकृतिक रंगरूप है
बहता हुआ दर्द है
ईमान हमदर्द है
वक्त कमजर्फ है
न्याय है
पर्याय है
अनवरतता सहाय है
खिलती कली है
झूमती जिन्दादिली है
मस्ती की गुलगुली है
थोड़ी सी चुलबुली है
चंदा की चांदनी है
मन की रागिनी है
महकते फूल ,, चुभते शूल
मन का राग है
पथ की आग है
हंसता हुआ अकेलापन है
उम्र पचपन में ढूंढता हुआ बचपन है
बढ़ता हुआ बुढ़ापा है
व्यर्थ का स्यापा है
मौत से लड़ते हुए जिन्दगी को पाना है ...
तन्हाई में प्रीत को पाना है ..
बाकि क्या कहूँ ...
दर्द दीवाना है ...खुद से अनजाना है
दुनिया से बेगाना है..
फिर भी दिल ने उसे ही अपना माना है ..
संग साथ सब उसपर भी मुस्कुराना है
"---- विजयलक्ष्मी

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