Tuesday 28 October 2014

" ममता देखे बावरी न चादर न सोढ "

" एक तरफ भूखे बिलख बच्चे सोते गगन को ओढ़ 
तीन दिन में फिल्म पर मिलते इक सौ आठ करोड़,

इक आँख में नींद नहीं .. बेघर बैठे हैं पैर सिकोड़ 
कुछ नींद खाए बीमारी घर की कीमत साठ करोड़

बेसुध सोये पड़े ममता देखे बावरी न चादर न सोढ
भूख नींद लालच में दबे दौलत जिनपे लाख करोड़ " --- विजयलक्ष्मी 

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