कुछ लम्हों की चुप्पी को हार मत समझना ,
हौसले मेरे,उड़ान थमने नहीं देंगे याद रखना
हौसले मेरे,उड़ान थमने नहीं देंगे याद रखना
हूँ अनजान राहों से, मंजिल मिल ही जाएगी
घायल हूँ मगर जिन्दा नहीं मरेंगे याद रखना
घायल हूँ मगर जिन्दा नहीं मरेंगे याद रखना
माना मौत हमसफर है कत्ल करेगी मुझको
फख्र होगा मरकर भी जिन्दा रहेंगे याद रखना
फख्र होगा मरकर भी जिन्दा रहेंगे याद रखना
बहुत देखली दुनिया झूठ-सच के फंदे भी देखे
देखी मक्कारी श्रृंगालो सी कहेंगे याद रखना
देखी मक्कारी श्रृंगालो सी कहेंगे याद रखना
मुखौटे संग देखे मुखौटो में छिपे अपने पराये
जब चाह अपनाया, परायापन देखेंगे याद रखना
जब चाह अपनाया, परायापन देखेंगे याद रखना
चला दो खंजर अपना लहू बहता है बहने दो
सिला जख्मों का रुके क्यूँ असर देखेंगे याद रखना --- विजयलक्ष्मी
सिला जख्मों का रुके क्यूँ असर देखेंगे याद रखना --- विजयलक्ष्मी
मुखौटे संग देखे मुखौटो में छिपे अपने पराये
ReplyDeleteजब चाह अपनाया, परायापन देखेंगे याद रखना
बहुत सुंदर रचना :)
पासबां-ए-जिन्दगी: हिन्दी