Saturday 26 July 2014

" नवीनीकरण "

नवीनीकरण 
रिश्तों का ...रिश्तों की किश्तों का 
अहसास के फरिश्तों का 
नवीनीकरण 
पालिसी का या जिन्दगी का ..
भविष्य की सुरक्षा का ..या अतीत की बन्दगी का
नवीनीकरण
किस किस का नवीनीकरण
कागजों पर भौतिकता का नवीनीकरण
मन का ,ईमान का ,पुरुष के पुरुषत्व का औ ..
पुरुषार्थ का ..जमीर का .
स्नेह का
रूह का ..मन के बगीचे का
दिल की दीवार पर टंगी पुरातन-वादी ग्रंथियों का
विकास की राह पर अवरोधों का
व्यर्थ तूल पकड़ते क्रोधों का
नश्वरता में अमरता का ..हो सकेगा नवीनीकरण .
वस्त्रो की तर्ज पर विचार का
सामान की तर्ज पर भ्रष्टाचार का ,,अनाचार का.. व्यभिचार का नवीनीकरण
फटी जेब का उद्धार हुआ
उधड़ते रिश्तों का क्यूँ खड़ा सवाल हुआ
सिल देते तो अच्छा था
जुड़ा हुआ घर संसार सच्चा सा लगता है
पुरानी दीवारो पर भी नया रंग रोगन
मजबूत नींव पर कंगूरे होते हैं रोशन
इसीलिए नवीनीकरण ...
समय बेल की निराई गुड़ाई छटाई ..बराबर खाद पानी ..
फसल सुंदर ..ज्यादा अच्छी मिलती है
तुम जानते हो सब बस मानते नहीं थे कभी .--- विजयलक्ष्मी

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