Friday 9 May 2014

"राष्टीय विकास भी चुनावी तिलिस्म लगे "

" कशिश है मगर कोशिश भी कम लगे ,
सियासती चालों में क़ानून कम लगे 

तीर भी बनाये गुल उठाकर चमन से 
मुश्किल यही है दुश्मन को बम लगे .

कहकर मौत का सौदागर चाबुक चलाया 
तिस पर चीखता है अभी जख्म कम लगे 

हकीकत बयाँ करूं ,नाराज न हो जाये 
खुदगर्जी न पूछो कातिल भी हम लगे

चुनावी चूल्हा गर्म है आजकल देश में
राष्टीय विकास भी चुनावी तिलिस्म लगे
 "--- विजयलक्ष्मी

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