Saturday 1 March 2014

मजमून ए महबूब लिखे तो गजल ,

मजमून ए महबूब लिखे तो गजल ,

गर खुदाई नक्शे पा मिले तो गजल .



गर होश ओ हवास गुम तो गजल


जो अहसासात ए हवा चले तो गजल .



किस्मत का फजल मिले तो गजल 


जो डूबकर भी जिन्दा मिले तो गजल.


शिद्दते दोस्ती हरूफ निभाए तो गजल


गर कलम ईमान से मिले तो गजल .



वाइज की न पूछ गर चले तो गजल


अजब हकीकत ये हम खिले तो गजल.- विजयलक्ष्मी

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