Wednesday 12 February 2014

जीवन संघर्ष है

नेह बरसा
बयार बसंती सी 
मन बिहसा 

खिल खिलाती 
मुस्काती है जिन्दगी 
साथ हो तुम्ही .

रास्ता चला था 
झरना मंथर सा 
मंजिल जहाँ

पुष्पित पुष्प
पल्लवित लतायें
जीवन संग

हरित मन
चपल चंचल सा
मन तरंग

शिकायत है
रवायत कैसी हैं
इनायत है

घुटन क्यूँ हैं
मन तरसा क्यूँ है
रुदन क्यूँ है

राजनीति है
जीवन संघर्ष है
परिणति है ...- विजयलक्ष्मी 

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