Sunday 5 January 2014

पेट की भूख विज्ञानं की अंगीठी पर पकाई होती ,

पेट की भूख विज्ञानं की अंगीठी पर पकाई होती ,
तो आज भी अपनी छत नहीं होती ,
भौतिकी के ज्ञान ने मन को पत्थर कर दिया ,
दहेज लेकर ऐश उड़ाने की सोचने वाले ...
पुलिसिया हिरासत मिलेगी तो हिंदी की बिंदी की तरह दिखाई देगा ,
पेट का रसायन रोटी के उत्प्रेरक से शरीर को घसीटता है ,
जिंदगी समय के लोलक पर दोलन करती रहती है ,
जिन्दगी अर्ध विरामों के भीच खोई सी कहीं
इतिहास भूख का भूगोल के पन्नो में लापता
काव्य का लघु उद्योग ...दिमाग पर क्रांति लिखने लगा
प्रश्न वाचक बनी देश की नीतिया
छुट्टी चली हिन्द की रीतियाँ
अट्टाहस भ्रष्टाचार का देखिये
परखिये ,सोचिये ,तोलिये
तराजू हिय की कब विश्राम हो
याद रखना ...कलम का कलाम .. तुम,,ही पूर्ण विराम हों ,,-विजयलक्ष्मी

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