Thursday 16 January 2014

सम्पूर्ण कविता है

सम्पूर्ण कविता है ..
अहसास है ओज है 
गीत है सरगम है 
ख़ुशी भी है गहराया गम भी है 
जीवन की राह ठोकता खम भी है 
यादे है ,इरादे है ,जीवन के वादे है 
बहती नदी की धार ..चलती कटार 
झुझता सत्य धारदार 
झूठ से लड़ाई 
जीवन की सच्चाई 

माँ की ममता
इंसानी समता
हाथ की लकीरे
पैरों की जंजीरे
हमारी तुम्हारी तस्वारे
राग रंग..प्रेम का ढंग
देश का स्वाभिमान
खुद्दारी का अभिमान 

मानव कल्याण
प्रश्नों का समाधान
राष्ट्रीय आन्दोलन
क्रांति की पुकार ,होता व्यभिचार
सत्य का परचम .राजनैतिक पतन
उज्ज्वल भविष्य ,गुरु और शिष्य
ईश्वरीय तत्व
जीवन में प्रेम का महत्व
एक उत्तरदायित्व
समाजिक स्थायित्व
कला नर्तन ..
घर का हर एक बर्तन
उसी में नव जीवन दर्शन .
राग और रागिनी है
चाँद संग चांदनी है
और ..हर एक रिश्ता
सामाजिकता ..शिष्टता ,
रात के अँधेरे ..जगाते सवेरे
और ..और ....उगता हुआ सविता है ..
सम्पूर्ण कविता है .-- विजयलक्ष्मी

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