Wednesday 9 October 2013

सरहदों के रक्षक तुम्हे सलाम ,


हवाबाज देश के तुम सरताज ,सरहदों के रक्षक तुम्हे सलाम ,
लिख दिया जीवन देश के नाम तुम्हारे उस जज्बे को सलाम 
लड़ते हो मौत से जमीं क्या हवाओं पे लिखकर वतन का नाम 
चीरते हो गगन का सीना हौसलों से जब चलते जानिब ए मुकाम 
- विजयलक्ष्मी 

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