Monday 12 August 2013

एक चिरपरिचित सी मुस्कान

"काश ये जिन्दगी ही तुम्हे दे पाते हम ,
जिन्दगी हर सुबह नाम कर जाते हम .
हमारी सांसे भी तेरे नाम पर जिन्दा है
आजकल एक ही नाम जपे जाते हैं हम "
.- विजयलक्ष्मी




एक चिरपरिचित सी मुस्कान ,
जो खोकर भी नहीं खोती कभी ,
कभी दिखती है हर चेहरे पर ..
छिप सी जाती है वो कहीं कभी
.- विजयलक्ष्मी

No comments:

Post a Comment