Saturday 31 August 2013

बहुत बेरहम ये दुनिया है

बहुत बेरहम ये दुनिया है गम देके दामन में ,हंसती है,
कहूँ किसको गर नाखुदा ही मेरे जख्मों से रश्क कर बैठे . - विजयलक्ष्मी

कल का भरोसा खत्म, आ जरा मौत से भी गले मिल लें अभी ,
कही ऐसा न हों जिंदगी दगा दे जाये ,और मौत मिलने से मना करदे . - विजयलक्ष्मी


वक्त ए तासीर बदलने का अब इन्तजार क्यूँ ,
बता दे अभी रजा क्या है बाकी ए जिंदगी ,मुझसे चाहती क्या है ?. - विजयलक्ष्मी

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