Friday 5 July 2013

हकीकत ए जिन्दगी को कहानी न बता

हर विनाश के नृशंस क्षणों पर सृजन रहता है ,
सच यही है ....स्थापना विस्थापन की पूरक है 
जिन्दगी रचना का खुद में एक जखीरा 
फिर कैसे नहीं ... रचना संरचना की एक सूरत है
- विजयलक्ष्मी .




जज्ब कर जज्बात ए मुहब्बत जरा जरा 
ये दिल्लगी नहीं यारा दिल की लगी बनी है 
हकीकत ए जिन्दगी को कहानी न बता
वो कुसूर था या तोहफा अब बन्दगी बनी है
.- विजयलक्ष्मी

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