Wednesday 29 August 2012

वफा को मौत से गुजरना होगा .....




















दीवानों का जनाजा निकलेगा शहर में नहीं,

दुनिया में मातम होगा ....
फूल दुश्मन भी न बरसाए गर अर्थी पर भला 
कैसे ये चाँद पूर्णम होगा ....
चीखों से अभी तेरे घर को भरा ही कहाँ है 

दर्द तेरे साथ लिपटा होगा ...
वो खला तुम ही हों न जिसने जाल फेंका था
भुनगा सा ही जलना होगा ....
किसी तौर तडप न छोड़ेगी किसी को अब देखो
वफ़ा को मौत से गुजरना होगा ....
बहुत जिया शब्दों में शातिर चलों सा पहले भी
उन गलियों से फिर गुजरना होगा ....
तूफानों का अब असर देख जो छेड़े थे तुमने कभी
सबको दीवाने के साथ ही मरना होगा .... -- विजयलक्ष्मी

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