Saturday 18 August 2012

जश्न ए आजादी


जश्न ए आजादी ...
किसकी आजादी ...देश को बेचने की ,
ताबूतों की दलाली खाने की आजादी 
सैनिकों के परिवारों के मिलने वाले घरों को खाने की आजादी ..
देश के अन्नदाता कृषकों को आत्महत्या की आजादी ,

उनकी बेटियों को रोटी की कीमत में बिकवाने की आजादी ..
गद्दी पर चोर दरवाजे से बैठ प्रधानमंत्री बनने की आजादी ,
घोटालों की आजादी ..
नेताओं की खातिर जवानों को मौत के मुहँ में धकेलने की आजादी ,
सर ए आम इज्जत आबरू छीनने की आजादी ..
जनता के सुरक्षार्थ तथाकथित पुलिस द्वारा ही तनमन लूटने की आजादी ..
जी हाँ ..आजादी आजादी ....जिसे आज तक राष्ट्रीय पर्व घोषत न किया हों ..
वही दिन मनाने की आजादी ...मनाइए ..ये जश्न ए आजादी .
कश्मीर ,गुजरात और आसाम जलाने की आजादी
अपने खूबसूरत को उजाड़ने आजादी ..
भ्रषटाचार को उसके उच्च शिखर पर पहुँचने की आजादी
.आपको भी मुबारक ..
ए मेरे प्यारे वतन ...ए मेरे उजड़े चमन ..
कैसे बचायें तुझको वतन ..
मना सके जिससे जश्न ए आजादी .
कसाव जैसों को लटकाने की आजादी . - विजयलक्ष्मी ..

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