वक्त खो गया है इस कदर
ढूँढना मुश्किल हुआ है अब तो .
मुकद्दस रमजान आया है ,
देखो,ईद को ही आना है अब तो .
कत्ल कर देना जिबह की रात,
गुनाह खत्म हों जायेंगे तब तो .
उतर पडेगी चाँदनी मुकद्दस ,
महक उठेगा चमन औ वतन तब तो.
शिवाला औ रमजान का मिलन
सुन ए आसमान, सम्भल अब तो.
अजब,ए सितारों ठहर जाना ,
दीपावली के दीपों को जलना तब तो - विजयलक्ष्मी
ढूँढना मुश्किल हुआ है अब तो .
मुकद्दस रमजान आया है ,
देखो,ईद को ही आना है अब तो .
कत्ल कर देना जिबह की रात,
गुनाह खत्म हों जायेंगे तब तो .
उतर पडेगी चाँदनी मुकद्दस ,
महक उठेगा चमन औ वतन तब तो.
शिवाला औ रमजान का मिलन
सुन ए आसमान, सम्भल अब तो.
अजब,ए सितारों ठहर जाना ,
दीपावली के दीपों को जलना तब तो - विजयलक्ष्मी
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