Friday 8 June 2012


पत्नी त्याग बने मर्यादा पुरुषोत्तम राम ?
कर्मक्षेत्र बदल डाला बाना क्षत्रिय का परशुराम ने ?..
माता की हत्या कर पितृऋण चुका दिया ..?
चाँद ने सर्वस्व दांव पर लगा शिव मस्तक पा लिया कैसे ? ..
अभिमान में चूर दक्ष ने पुत्री की आहुति ले डाली क्यूँ ?
शिखंडी पुनर्जन्म की गाथा सुना गया ..
राजा को वक्त ने श्मशान में बिकवा डाला ..
जिद त्रिशंकु बन गयी ...चरित्र की बात है ..
लडखडाते कदम सहमे से तो थे ..रोज गर्दन काट कर चलती है
दम्भ नहीं ..ये पूजा है,.. आराधना है ,स्याह रंग नहीं ...
आग को पकड़ने की चाहत ...सूरज के संग ..बच्चे को देखा है कभी उसका ललकना ..
निश्छल को छलना क्यूँ ?...कलम कटती क्यूँ है ...तुमने जिद की थी न .....भेजा था समान ..
सम्भाल कर रखा है .....यही चूक गयी बस फेंक देती ... बाहर उठाकर ..दो गाली चलती साथ..
बस यही करती तो अच्छा था .....चूक भुगतनी है अब ...मुझको..--विजयलक्ष्मी

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