Friday 15 June 2012

खिल गए है पुष्प मन के ,,





















खिल गए है पुष्प मन के ..
आँगन महक उठा है ...आज बदरा ..
झूम झूम कर बरस रहा है ...
कैसे करती है अठखेलियाँ देखो तितलियाँ ...
खुशबू से सारा जहां ....भीग रहा है ...
आँगन मेरे आज दिवाली कह दो दीप जलाऊँ..
होली का रंग मेरे दर पे आकर खड़ा हुआ है ..
लगता है क्यूँ आज .....सवरियां मीरा के घर आये ...?
राह बुहारे शबरी देखो .....इक इक दीप जलाए ..
संत समाज अचरज क्यूँ देखे ...राम जू घर जो आये ..?
कान्हा की बतिया सुन कर यशुमति वारी जाये ...
क्या अचरज गर पलक पावडे बिछ बिछ नीर बहाये ..?
मैं मन मेरा कायनात का कैसा रंग दिखाए ..?
धरती का हरियाली बाना .....दुल्हन सी सज भरमाये ..
केसर घोली हाथ दिए तिलक भाल लगाये ...
रण भेरी से जीत के राणा ज्यूँ घर को आये ..
मन भावन राह सजी हों भक्ति पूरी पा जाये ..
त्रिशंकु को कह दूँ क्या ...अब स्वर्ग को जाये ?--विजयलक्ष्मी
 

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