Thursday 13 October 2016

.......... अश्रु है ||

उलझे मन की पीड़ा का सार अश्रु हैं ,,
ईश्वरीय तारतम्य का विस्तार अश्रु हैं 
सत्य की जीत ,,झूठ की हार अश्रु है 
समर्पित प्रेम-प्रीत संग व्यवहार अश्रु है ||


मंजिल पर नये कदम की रार अश्रु है

यूँ लगता है जैसे जीवन श्रृंगार अश्रु है
ढलते हुए भावों का शब्द सार अश्रु हैं
पलकों पर उभरते हुए अशरार अश्रु हैं ||


भीतर शिराओ में बहती धार अश्रु है
धमनियों संग लहू की तकरार अश्रु है
नव जीवन अंकुरण का सत्कार अश्रु है
दर्द की बिनाई पर अभिसार अश्रु है ||


राष्ट्रभक्ति पर व्यंग्यात्मक वार अश्रु है
ह्रदय-ताल पर संजोया व्यापार अश्रु है
आत्मीयता के क्षणों का उद्गार अश्रु है
उजागर होते सत्य का प्रसार अश्रु है ||


अविकारी अगम्य लक्ष्य-टंकार अश्रु है
स्याह-समयचक्र भेदता प्रहार अश्रु है

चारित्रिक ढकोसले का प्रतिकार अश्रु  है 
मानवता पर रचा अत्याचार अश्रु है  ||

तथ्यों पर कथ्यों का व्याभिचार अश्रु है 
सन्तति जीवन-रचना संस्कार अश्रु है
सृजनात्मक ऊर्जा का संचार अश्रु  है
अंधकूप सा कलुषित विकार अश्रु है  ||

जीवन लीलता मानव-अहंकार अश्रु है
उपयोगिता - उपभोग अधिकार अश्रु है
मृत्यु-जीवन-बीज दर्प सृजनकार अश्रु है
नव-जीवन पर कुंठित संहार अश्रु है  ||     ----- विजयलक्ष्मी


2 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 14 अक्टूबर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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